विश्व धरोहर दिवस (18 अप्रैल) पर विशेष
स्मारकों को सुरक्षित रखने का संदेश देता है विश्व धरोहर दिवस
18 अप्रैल को पूरी
दुनिया में विश्व धरोहर
दिवस मनाया जाता है। इस दिवस के आयोजन का मुख्य उद्देश्य यह
है कि पूरे विश्व में मानव सभ्यता से जुड़े ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थलों के
संरक्षण के प्रति जन-सामान्य
मे जागरूकता
उत्पन्न
की जा सके। धरोहर अर्थात मानवता के लिए अत्यंत महत्व के वे
स्थान जो हमे हमारे पूर्वजों से विरासत मे प्राप्त हुए हैं
और जिन्हे आने वाली पीढि़यों के लिए बचाकर रखा
जाना आवश्यक है
उन्हें विश्व धरोहर
स्थल के रूप में जाना जाता है और यह कार्य संयुक्त राष्ट्र की
संस्था यूनेस्को द्वारा किया जाता है ।
ऐसे महत्वपूर्ण
स्थलों की पहचान एवं संरक्षण की पहल
संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनेस्को ने प्रारम्भ की थी बाद मे जिसे
एक अंतर्राष्ट्रीय
संधि जो कि विश्व सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर संरक्षण की बात करती है के
रूप मे सन 1972 में लागू किया गया । उस
समय विश्व की
समस्त धरोहरों/स्थलों को मुख्यतः
तीन श्रेणियों में सम्मिलित किया
गया। प्रथम प्राकृतिक धरोहर स्थल द्वितीय सांस्कृतिक धरोहर स्थल और तृतीय मिश्रित धरोहर
स्थल।
लेकिन पहले यह जानना
भी जरूरी है कि
विश्व धरोहर दिवस की शुरुआत कब हुई। विश्व धरोहर दिवस की शुरुआत 18 अप्रैल 1982 को हुई थी जब आईकोमास संस्था ने
टयूनिशिया में अंतरराष्ट्रीय स्मारक और स्थल दिवस का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में
कहा गया कि विश्व भर में समान रूप से इस दिवस का आयोजन किया
जाना चाहिए। इस प्रस्ताव
को यूनेस्को के
महासम्मेलन में भी अनुमोदित कर दिया
गया और इस प्रकार नवम्बर 1983 से 18 अप्रैल को विश्व धरोहर दिवस के रूप में मनाने की
घोषणा कर दी गई। इसके पूर्व हर साल 18 अप्रैल को विश्व स्मारक और पुरातत्व स्थल दिवस के
रुप में मनाया जाता था।
हमारे देश मे वैसे तो विश्व धरोहर स्मारकों की कुल संख्या 35 है जिसमे 27 सांस्कृतिक स्थल तथा 07 प्राकृतिक पुरास्थल तथा 01 मिश्रित श्रेणी का है। इस दृष्टि से हमारा राज्य महाराष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र मे अत्यंत महत्वपूर्ण हैं जहां कुल चार, अजंता,एलोरा,एलीफेंटा गुफाएँ और क्षत्रपति शिवाजी टर्मिनस ( विक्टोरिया टर्मिनस) ,विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त कारीगरी के नायाब नमूने हैं।
यहाँ
यह विशेष रूप से उल्लेखनीय है सन 1983 मे
देश मे सबसे पहले घोषित होने वाले विश्व धरोहर स्मारकों मे हमारे प्रदेश
महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले मे स्थित अजंता एवं एलोरा भी शामिल हैं और संभवतः उस
समय यह पहला अवसर था जब एक ही जिले मे दो स्थलों को विश्व विरासत का दर्जा प्राप्त
हुआ हो।
वैसे
वर्तमान मे विरासतों को विकास की भेंट चढ़ने से बचाना अत्यंत कठिन होता जा रहा है और औरंगाबाद जैसे
शहर मे जो की दुनिया मे अजंता एवं एलोरा जैसे विश्व धरोहर स्मारकों के कारण ही पहचाना जाता है जब वहीं पर इन
स्मारकों को सहेजने के स्थान पर तोड़ा जाने लगे तो ज्यादा चिंताजनक बात होती है और
विश्व धरोहर दिवस जैसे आयोजन जिनका मूल उद्देश्य ही धरोहर को सुरक्षित रखना है पर
भी प्रश्न चिन्ह लगता है। अतः आइए विश्व धरोहर दिवस के अवसर पर हम सभी संकल्प लें कि हमारे आस-पास की
विरासतों को बचाने का हम हर संभव प्रयत्न करेंगे।
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