Sunday, July 7, 2019



                                   दो हजार का नोट और अजन्ता पेंटिंग्स
                                             

        पूरी दुनिया में मशहूर अजंता पेंटिंग्स के बारे हजारो पन्ने लिखे गए हैं और  ये पेंटिंग्स पिछले 1500 वर्षों से दुनिया के चित्रकला प्रेमियों के आकर्षण एवम कौतूहल का केंद्र बनी हुई हैं।वैसे  तो इस समय नोटबंदी के चलते चारो ओर अजीब सा माहौल है।प्रत्येक अर्थशास्त्री अपनी सुविधा और ज्ञान के आधार पर सफलता तथा असफलता के दावे ख़बरिया चैनलो के माध्यम से कर रहा है।आखिर ! मामला काले धन को बाहर निकालने का जो ठहरा। आप सोच रहे होंगे की नोटबन्दी के साथ अजंता की चर्चा कहाँ से गई।  लेकिन लगता है नोटबंदी कि चर्चा और नई मुद्रा का जारी होना बिना अजन्ता की चर्चा के पूरा नहीं हो सकता।
     प्राचीन साम्राज्यों एवम वर्तमान में राष्ट्रों द्वारा  समय -समय पर जारी की जाने वाली  इन मुद्राओं का एक निश्चित आकार-प्रकार,मानक वजन और लांक्षन अथवा  प्रतीक चिन्ह होते हैं।  मुद्रा  पर अंकित प्रतीक चिन्ह उस मुद्रा के शासन  द्वारा जारी होने का प्रमाण होते हैं
         नोटबंदी के चलते नई मुद्रा के रूप में दो हजार रूपये के  नए नोट का आगाज हुआ।और इस नए नोट ने शीघ्रता से अपनी पहचान भी कायम कर ली। रंग-बिरंगे गुलाबी रंग वाले इस नोट पर शासकीय शब्दावली तो पूर्वानुसार ही है लेकि इसके पृष्ठ भाग पर मंगलयान के नीचे अंकित तीन प्रतीक चिन्हों और उनकी पुनरावृत्ति ने प्रत्येक महाराष्ट्रवासी को अभिमान करने का मौका दे दिया है। हालाँकि इससे बहुत कम लोग ही  परिचित होंगे की दो हजार रूपये के पृष्ठ  भाग पर मंगलयान के नीचे पंक्तिबद्ध चित्रित हाथी, राष्ट्रीय पुष्प कमल तथा श्वेतधवल हंस का  अंकन  महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में स्थित अजंता की चित्रित गुफाओं से लिए गए हैं।
           भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा सरंक्षित और सन 1983 से  विश्वविरासत का दर्जा प्राप्त इन गुफाओं की चित्रकारी आला दर्जे की है। यहाँ पर कुल 30 गुफाएं है जिनमे से गुहा क्रमांक 1,2 एवम 16,17 में  उत्कृष्ट कोटि के चित्र अंकित  किये गए हैं। मूलतः भगवन बुद्ध  के पूर्व जीवन के कथानकों का अंकन ही इन चित्रों का मुख्य विषय है जिन्हें जातक कथाओं के नाम से जाना जाता है।किन्तु जातक कथाओं के अतिरिक्त भी अन्य बहुत से वर्ण्य विषयों का चित्रण भी इनमे सम्मिलित है जिनमे पशु,पक्षी वनस्पति  आदि का चित्रण उल्लेखनीय है। और इन गुफाओं/चित्रों का  कालखंड दूसरी सदी . पू. से लेकर आठवीं -नौवीं सदी ईस्वी के मध्य अनुमानित किया जाता है।  दो हजार रुपये के नोट में उक्त तीनों प्रतीक इन्ही सुप्रसिद्ध अजंता की गुफाओं से लिये  गए है। प्रसंगवश उल्लेखनीय है पहले  भी पर्यटन मंत्रालय द्वारा अतुल्य भारत के प्रतीक चिन्ह के रूप में अंकित हाथी भी अजंता पेंटिंग्स से प्रेरित होकर निर्मित किया गया था।

हाँ ! आखिर में एक बात और आपने अभी तक अपने दो हजार के नोट से इन चित्रों का मिलान किया कि नहीं



No comments:

Post a Comment

अजंता गुफाओं की पुनःखोज के 200 वर्ष                             हाँ , अप्रैल का ही महीना था और साल था 1819 , जब ब्रिटिश भारतीय स...