कहाँ है बाहुबली की महिष्मती?
पिछले दो सालों से बाहुबली
भाग
दो की प्रतीक्षा करने वाले दर्शकों को इस फिल्म के प्रदर्शित होते ही प्राचीन महिष्मती के गौरवशाली अतीत की सिनेमाई भव्यता देखने को
मिली । लोग इतनी भव्यता वाला साम्राज्य
देखकर अचंभित रह गए किन्तु सिनेमाई पर्दे ने ही सही उन्हे बाहुबली के माध्यम से
अपने अतीत पर गर्व करने का मौका जरूर दे दिया । और इसी के साथ ही
लोगो मे यह भी जिज्ञासा भी उत्पन्न हो गई
कि क्या कभी वास्तव मे बाहुबली की महिष्मती नगरी
कहीं पर अस्तित्व मे थी? क्या सच मे इन किरदारों ने कभी महिष्मती
मे
शासन किया था? फिल्म
देखकर तो यकायक यह सच ही लगता है और इसी सच की तलाश के चलते गूगल बाबा तथा विकिपीडिया के साथ -साथ इतिहास की पुस्तकों की पूछ –परख
भी बढ़ गई और सदियों से इतिहास की परतों मे दबा महिष्मती नगर चर्चा का केंद्र बिन्दु बन
गया।
वैसे तो बाहुबली फिल्म मे
प्रदर्शित महिष्मती साम्राज्य एवं उसके किरदारों का वास्तविक इतिहास से
कोई संबंध नहीं है । परंतु
महिष्मती नामक प्राचीन नगर नर्मदा नदी के
तट पर अवश्य था जिसकी स्थापना राजा महिष्मत द्वरा किए जाने का विवरण मिलता है। यद्यपि
इस नगर की भौगोलिक पहचान के संदर्भ विद्वानो के अलग –अलग मत हैं जहां पार्जिटर
महोदय आदि कतिपय विद्वान इसे मांधाता
(वर्तमान ओंकारेश्वर) से समीकृत करते हैं किन्तु प्रो.एच.डी.संकलिया सहित अधिकांश
विद्वान उपलब्ध साहित्यिक/ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर इसे मध्यप्रदेश के खरगोन
जिले मे स्थित महेश्वर से समीकृत करते हैं । यहाँ पर यह उल्लेखनीय है की संकलिया
महोदय ने सन 1952-53 मे महेश्वर एवं नवडाटोली का पुरातात्विक उत्खनन भी कराया था।
उज्जयिनी से
प्रतिष्ठान (वर्तमान पैठण) जाने वाले व्यापरिक पथ पर यह महिष्मती अवस्थित थाअवन्ति
महाजनपद के कमजोर होने पर कालांतर मे इसके
अनूप महाजनपद की राजधानी बन जाने का उल्लेख मिलता है । महाजनपदकाल मे तत्कालीन 16 प्राचीन
महजनपदों मे भौगोलिक रूप से अवन्ति नामक
महाजनपद सर्वाधिक विशाल था जिसकी दो राजधानियाँ थी। उत्तर अवन्ति की राजधानी उज्जयिनी
थी और दक्षिण अवन्ति की राजधानी के रूप मे महिष्मती का उल्लेख मिलता है। इस
राजधानी
नगर का उल्लेख रामायण, महाभारत,बौद्ध एवं जैन ग्रन्थों सहित दीपवंश–महवंश से
लेकर कालिदास तक के साहित्य मे मिलता है। प्राचीन
काल से लेकर परमार शासक देवपाल (लगभग 13 वीं सदी ई.) तक
महिष्मती का लगातार विवरण मिलता है। फिर एक लंबे अंतराल के बाद महारानी
अहिल्याबाई होल्कर की राजधानी के रूप मे यह नगर महेश्वर के नाम से प्रतिष्ठा प्राप्त करता दिखाई देता है।
अनुमान किया जा सकता है कि पुण्यश्लोका
विदुषी महारानी अहिल्याबाई होल्कर (सन 1725-1795ई.) ने संभवतः महिष्मती के गौरवशाली अतीत से प्रभावित
होकर अपनी राजधानी इंदौर से महेश्वर
स्थानांतरित कर उसका प्राचीन गौरव लौटने का प्रयास किया। जहां पर स्थित राजमहल, देवालय तथा घाट आज भी महिष्मती के गौरवशाली इतिहास की याद दिलाते है।
बाहुबली
फिल्म की पटकथा का वैसे तो ऐतिहासिकता
से कोई सीधा संबंध नहीं है पर पर उसके फिल्मांकन की आधुनिक तकनीक के विशेष प्रभाव ने दर्शकों को अत्यधिक प्रभावित किया है जिसके चलते दुनिया की बेहतरीन फिल्म बनकर सामने आई जिसका कोई
मुक़ाबला
नहीं है। अश्लील दृश्यों एवं दोहरे अर्थ वाले संवादों के बिना भी फिल्म ने कमाई के पूर्व के सभी कीर्तिमानों
को ध्वस्त कर दिया और इस फिल्म की लगभग 1000 करोड़ की कमाई ने अन्य निर्माता निर्देशकों को भी यह सोचने पर मजबूर कर दिया की इस तरह से भी फिल्मे बनाई जा
सकती हैं। खैर
! जो भी है बाहुबली के बहाने ही सही लोगों
का अपने गौरवशाली इतिहास के प्रति रुझान तो बढ़ा जो की स्वागतयोग्य है।
*लेखक प्राचीन इतिहास एवं पुरातत्त्व के विशेषज्ञ
हैं ।
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